िपछले दो-तीन िदनों में खबिरया चैनलों को एक मसालेदार खबर िमली। खबर भी क्या, दुिनया खत्म होनेवाली है। तकरीबन सभी चैनलों ने खूब ढोल पीटे। फलां िदन महापऱलय अाएगा, दुिनया खत्म हो जाएगी। टीअारपी का खेल खेलते वक्त इन्हें इतनी भी शमॆ नहीं अाती िक लाखों लोग जो िनगाहें गड़ाए टीवी पर िदखाई जाने वाली खबरों को सच मानते हैं उन्हें ये धोखा दे रहे हैं। यह धोखा उस िवश्वास को िदया जाता है जो दशकों पहले पतऱकारों की िबरादरी ने बनाई है, यह धोखा उस चौथे स्तंभ को िदया जा रहा िजस पर भारत जैसे सबसे देश का लोकतंतऱ िटका है। कुछ तो शमॆ करें एेसी खबरें िदखाने से पहले। महापऱलय की जो टीअारपी बटोरी गई वह अथॆ की दृिष्ट से भले ही फायदेमंद सािबत हो पर िवश्वास के मामले में काफी नुकसानदेह। जहां महापऱलय हो रहा था या हो रहा है वहां की खबरें िदखाना या उनके िलए कुछ करना इनका धमॆ नहीं। िबहार के पांच िजले पानी से भरे हैं, लाखों लोग बेघर हो गए हैं, करोड़ों की िनजी और सरकारी संपित्त का नुकासन हो गया है, यह खबर नहीं बनती। क्योंिक इससे टीअारपी नहीं जुड़ा हुअा है। मीिडया के पऱबुद्ध लोगों के िलए यह बहुत बड़ा पऱश्न है िक क्या मीिडया िसफॆ बाजार के हाथों की कठपुतली बन कर रह जाएगी। तमाम िगरावटों के बाद भी मैंने मीिडया की ताकत देखी और महसूस की है। अागे भी एेसा ही रहे और हम पहरुओं की भूिमका अदा करते रहें तो इसके िलए हमें समय रहते सोचना होगा। भले ही समझौता न करनेवाले अखबारों का वजूद िमटता जा रहा है पर अाज भी उनका नाम अादर के साथ िलया जाता है। जरूरत है इस सम्मान को बचाने की।
सार्थक और सटीक .. मज़ा आ गया सर ... मेरे ब्लॉग पर सरकारी दोहे पढने के लिए आपको सादर आमंत्रण है
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