मुझे शेर बहुत पसंद हैं। एक बार बचपन में सकॆस में और कोलकाता और रांची के िचिड़याघरों में देखा है। काफी कुछ पढ़ा है और िडस्कवरी में भी उनके बारे में िदए जानेवाले कायॆकऱम देखे हैं। उनके िशकार करने की कहािनयां सुनी हैं। उनकी गजॆना के बारे में सुना है। सुंदर अायल वाले ये शानदार बड़े िवडाल अब खतरे में हैं। िजस पऱकार राजशाही खत्म होती जा रही है उसी पऱकार जंगल के राजा भी खत्म होते जा रहे हैं। पर मेरी पऱाथॆना है िक ये राजशाजी जीिवत रहे। जंगलों में ये िवडाल अपनी शानो-शौकत से साथ रहें। पर यह तभी संभव है जब हम औऱ अाप जैसे सभी लोग यह चाहें। यिद हम चाहते हैं हमारी अानेवाली पीिढ़यां िचिड़याघरों में ही सही इन बड़े िवडालों को देखें तो इसके िलए जरूरी है िक हम चचेत हो जाएं।
हम अपने घरों में अपने बच्चों को इनके बारे में बताएं। सरकार भले ही इनके संरक्षण के िलए पिरयोजनाएं बनाती है पर उससे अाम लोगों की भागीदारी सुिनश्चत नहीं हो पाती। अाम लोगों को भी जागरूक होना होगा। पशु-पिक्षयों के संगरक्षण का ठेका लेने वाले एनजीओ को धरातल पर काम करना होगा। यह तभी संभव है जब अापके िदल में इन जानवरों के पऱित पऱेम हो। अाप इनसे उसी पऱकार प्यार करें जैसा अपने बच्चों और अन्य िपऱयजनों से करते हैं। घरों में सास-बहु सीिरयलों की कुिटस सास और बहुओं की चतुरचालों की चचाॆ के बदले इन जानवरों की चचाॆ करें। िजस िदन अाम लोगों के घरों में जानवरों के बारे में चचाॆ शुरू हो जाएगी उस िदन वाकई हम जागरूक हो जाएंगे। और नहीं तो तैयार रहें हम अपने बच्चों से कहेंगे.. देखो बेटा ये शेर एेसा होता था। उसके चार पैर होते थे, फलां, फलां...
इसिलए मैं िफर कहता हूं अाप कुछ न करें िसफॆ इनके प्यार करें, इनके बारे में सोचें, तो हो सकता है एक िदन अाप जंगल के इस राजा के काम अा जाएं। इनके नाखूनों, खाल और हिड्डयों से बननेवाले पदाथोॆं का कारोबार करनेवाले और इनके िशकािरयों के िखलाफ खड़े हो जाएं।
इतना भी बुरा नहीं यह वक्त, जितना सब कोसते हैं
10 years ago
आपको शेर बहुत पसंद हैं जानकर खुशी हुयी मेरे ब्लॉग पर पधारे शेर शायरी भी पसंद आयेगी ....... आपको मेरे ब्लॉग पर पधारने हेतु पुन:: आमंत्रण है
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही है. सभी जीवों मैं एक ही आत्मा है. इनसे प्यार करना चाहिए. एक सुंदर विचार देने के लिए आभार.
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