Friday, September 12, 2008

मौसम में घुलता है उमंग-तरंग

अाइए अाज अपने शहर से रू-ब-रू कराता हूं। झारखंड की राजधानी रांची। छोटी-छोटी पहािड़यों के िघरी पऱकृित की गोद में बसी छोटी सी नगरी। यहां का मौसम इसकी सबसे बड़ी खािसयत है। हर मौसम का अपना िमजाज है। जून औऱ जुलाई की घनघोर बािरश चुपके से सुनहरी धूप िलए शरद की ओर से चल देती है। लोग कह उठते हैं दुगाॆ पूजा का मौसम अा गया। बािरश से लबालब भरे तालाब और हिरयाली से भरे पेड़ देवी दुगाॆ से स्वागत में तैयार रहते हैं। प.बंगाल से सटा होने के कारण झारखंड में भी नवरातऱ बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वक्त वहां के मौसम में ही उमंग और तरंग घुला होता है। १३०० िकलोमीटर दूर नोएडा-गािजयाबाद में रहकर मैं उन चीजों को बहुत िमस कर रहा हूं। रांची के कुछ पूजा पंडालों की भव्यता का बखान नहीं िकया जा सकता। कलाकारों की मेहनत और पूजा कमेिटयों के सदस्यों की लगन तब साथॆक होती है जब भक्तों का हुजूम शाम से सुबह तक माता के दशॆन करता है। हल्के गुलाबी ठंड की चादर ओढ़े शरद धीरे से शीत ऋतु की ओर बढ़ जाता है। रांची में तापमान चाहे िजतना नीचे चला जाए, धूप में बड़ी राहत िमलती है। सबह सात बजे से शाम के पांच बजे तक ठंड को पास नहीं फटकने देती है यह धूप। इसके पीछे वहां के वायुमंडल में धूलकणों का कम होना है। राजधानी बनने के बाद पऱदूषण थोड़ा तो बढ़ा है पर महानगरों के स्तर तक पहुंचने शायद काफी वषॆ लगें। मैं यह कामना नहीं करता िक पऱदूषण का स्तर महानगरों के स्तर तक पहुंचे पर धीरे-धीरे महानगरीय संस्कृित रांची जैसे बड़े गांव को भी अपनी चपेट में ले रही है। िरलायंस माटॆ औऱ िबग बाजार का खुलना इसका संकेत मातऱ है। इससे पहले िक रांची का नैसिगॆक सौंदयॆ िबगड़े उसे बचाने का उपाय िकए जाने चािहए। पर झारखंड की िनदॆलीय सरकार से एेसी उम्मीद मुझे नहीं है। इससे पहले िक खूबसूरती को िकसी की नजर लग जाए अाप एक बार वहां जाकर पऱकृित के बीच के रोमांच को महसूस कर सकते हैं। अाप यिद रेल से सफर करेंगे तो जैसे ही झारखंड की सीमा में रेल के पिहए पऱवेश करेंगे अापको समझ में अा जाएगा िक अाप झारखंड में हैं। पहािड़यों के बीच से गुजरती टऱेन से अापको एेसी हिरयाली िदखेगी िजसे देख अाप पऱफुिल्लत हो जाएंगे। रेल यिद शाम को िकसी जंगल से गुजरे तो अासपास अापको झािड़यों और पेड़ों पर गजब की रोशनी िदखाई देगी। अाप यकीन नहीं करेंगे यह रोशनी लाखों जुगनुओं से अाती है। जुगनुओं की यह रोशनी िकसी भी चाइनीज लाइट से ज्यादा अाकषॆक लगती है। पऱकृितपऱेिमयों के िलए इसे देखना एक गजब का अनुभव होगा। और भी बहुत कुछ है रांची में। अागे बात होगी।

2 comments:

  1. ka party, bina bole bhag geli na. yah peice bahut achhi hai. roz likho. prayiksha rahegi agli post ki.
    ghannu

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  2. नए ब्लॊग का स्वागत है.
    खूब लिखें,अच्छा लिखें~.
    शुभकामनाएँ

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