Wednesday, September 10, 2008

महाराष्टऱ कोई देश नहीं

अपनी भाषा से पऱेम रखना और उसके पऱति संवेदनशील होना अच्छी बात है। महाराष्टऒ नविनमाॆण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे को भी अपनी भाषा और क्षेतऱ से प्यार है। लेिकन दूसरी भाषाओं के पऱति उनका रवैया देख यही लगता है िक उन्हें भाषा और क्षेतऱ से कुछ खास लेना-देना नहीं है। खासकर िबहार और उत्तर पऱदेश के लोग तो उन्हें फूटी अांख नहीं सुहा रहे। मुझे तो यह लगता है िक उन्होंने महाराष्टऱ को एक देश मान िलया है। िजसकी अपनी राष्टऱभाषा है और वह है मराठी। जहां तक मुझे ध्यान है भारत की राष्टऱभाषा िहंदी है। पूरे भारत में यही भाषा सबसे ज्यादा बोली और समझी जाती है। अब राज ठाकरे को यह बात कौन समझाए िक कुंए में रहनेवाले मेंढक उसे ही समुदऱ समझता है। राज शायद कभी महाराष्टऱ से बाहर नहीं गए। तभी उन्हें लगता है िक भगवान गणेश िसफॆ महाराष्टऱ में पूजे जाते हैं मराठी िसफॆ महाराष्टऱ में बोली जाती है। िबहार में मैं कई एेसे मराठी परिवारों को जानता हूं जो िबहार में भी मराठी बोलते हैं। पर वहां कोई हाय तौबा नहीं होती। अभी िबहार, झारखंड, यूपी, एनसीअार सिहत पूरी िहंदी बेल्ट में गणपित की पूजा धूमधाम से मनाई गई। तो क्या अब राज ठाकरे इस पर भी पऱितबंध लगाने की मांग करेंगे। अपनी राजनीित चमकाने के फेर में राज शायद यह बात भूल गए हैं िक इस देश के लोग भले ही तात्कािलक रूप से िकसी मुद्दे पर बहक जाते हैं, पर जब उनकी अांखें खुलती हैं तो उसे कहीं का नहीं छोड़ते। यह देश देश धमॆ, जाित और भाषा की विविधता लिए हुए है और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। राज इस ताकत को कमजोर करने की कोशिश भले ही कर रहे हैं पर इसमें उन्हें बहुत सफलता नहीं मिलेगी। महाराष्टऱ विधानसभा की कुछ सीटों पर उनके उम्मीद्वार भले ही जीत जाएं और कुछ सीटों को जरूर पऱभावित कर दें पर इससे ज्यादा उनके हाथ कुछ भी नहीं अानेवाला। धीरे-धीरे जब भाषा का हथियार कुंद पड़ेगा तो उन्हें भी रोटी-रोजगार की बात करनी पड़ेगी। यही इस देश की सबसे बड़ी जरूरत है और अाजादी के बाद से अाज तक की सबसे बड़ी समस्या भी।

5 comments:

  1. आपका स्वागत है.. अब नियमित लिखें. शुभकामनाऐँ.

    कृपा वर्ड वेरिफिकेशन हटा लेवे.. टिप्पणी देने में सुविधा होगी

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  2. बहुत सुंदर लिखा है. स्वागत है आपका.

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  3. ye baat to aap ne sahi ki
    ki maharashtra koi alag desh nahi
    wo bhi is bharatwarsh ka part hain
    waha pe jo aajkal uttarbhartiyo ke saath ho raha hain wo bilkul galat ho raha hain

    mujhe aasha hain ki jab tak ham iske liye kuchh nahi karenge tab tak kuchh nahi ho sakta

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने। जनजागरण का ये कदम सराहनीय है।

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  5. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है बहुत सटीक लिखते हैं समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

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